किसी से तो शिकायत कर रहा है वो
ग़ज़ल.. किसी से तो शिकायत कर रहा है वो मग़र खुद से मुहब्बत कर रहा है वो नहीं उसको गिला शिकवा किसी से अब ख़ुदा की अब इबादत कर रहा है वो दुआयें चल रही हैं साथ जब तक यह ज़माने से बगावत कर रहा है वो सिवा उसके नहीं आदत हमें कोई ख़ुदा बन कर इनायत कर रहा है वो खमोशी रास आती थी जिसे ‘राही’ सभी से अब रफ़ाक़त कर रहा है वो ~ रसाल सिंह ‘राही’
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