ओमप्रकाश वाल्मीकि: हिंदी साहित्य में एक आन्दोलन – राजेश कुमार बौद्ध
राजेश कुमार बौद्ध । सामाजिक पीड़ाएं जब दबती है तो आंसू व सिसकियों में तब्दील हो जाती हैं, यहीं पीड़ाएं जब उभरती है तो जन आन्दोलन का रूप धारण करती है। और जब यही पीड़ाएं शब्दों का रूप लेती है तो साहित्य बन जाती हैं, और ” जूठन ” जैसी कालजयी रचना का जन्म होता […]
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