INKALAB PUBLICATION

श्रीमती रम्भा शाह की कहानी – काफल पक्कू

“काफल पक्कू” उत्तराखंड का एक पक्षी है। इस पक्षी के बारे में पुराणों में एक कथा प्रचलित है। एक समय की बात है, चैत का महीना था और बहुत सारे काफल फल पक चुके थे। उत्तराखंड के एक गाँव में एक माँ और बेटी जंगल गए। घास और लकड़ी इकट्ठा करने के बाद उन्होंने काफल […]

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महादेव मुंडा की कहानी – मैं अमरूद का पेड़ हूँ

तब हम काफ़ी छोटे थे। उस लंबी-चौड़ी, दूर तक फैली खिलखिलाती हरियाली से भरी नर्सरी में मेरा जन्म हुआ था। उस समय हमारी अवस्था मात्र एक शिशु पौधे की थी। उस सुंदर से आहाते में मेरे जैसे कई मित्र थे—आम, जामुन, नाशपाती, खजूर, अनार, शरीफा, लीची, काजू आदि। हम अलग-अलग क्यारियों में सजे होते। हवा

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बिनोद कुमार सिंह की कहानी – बिना सिर वाला आदमी

सुबह के तक़रीबन दस बज रहे थे। लगभग अस्सी वर्षीय दादी बरामदे में बैठी पक्की सड़क की तरफ निरंतर देख रही थीं। सड़क पर आते-जाते लोग उन्हें परछाई की तरह दिखाई दे रहे थे। आज सुबह ही उनके छोटे पोते ने उनका चश्मा तोड़ दिया था। अभी कुछ ही देर हुई थी कि सड़क पर

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चैन मौर्य की कहानी – बिल्ली की स्वामिभक्ति

सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु आचार्य चाणक्य थे। उन्होंने एक बिल्ली पाल रखी थी, जो बहुत ही समझदार और स्वामिभक्त थी। आचार्य चाणक्य ने उस बिल्ली को दुनिया की सबसे उच्च कोटि की शिक्षा प्रदान की और उसे सभी प्रकार के नीति-नियम सिखाए। रणभूमि में वह बहुत ही अच्छा प्रदर्शन कर रही थी। समय बीतता

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डॉ. समीना क़ुरैशी की कहानी -भारत की अखंडता और विविधता

राजवीर नाम का एक युवा इतिहास का छात्र था, जिसे हमेशा से भारत की विविधता के बारे में जानने की गहरी रुचि थी। वह किताबों में पढ़ता था कि भारत दुनिया का सबसे विविधतापूर्ण देश है, जहाँ सैकड़ों भाषाएँ, धर्म, परंपराएँ और संस्कृतियाँ मिलकर एकता का प्रतीक बनती हैं। लेकिन उसके मन में एक सवाल

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मीनू अग्रवाल की कहानी -पुरानी कुर्सी

बाबूराव अब 65 साल के हो गए थे। आँखों से कम दिखाई देता था, हाथ कंपकंपाते थे, और पैरों ने भी जवाब दे दिया था। घुटनों के दर्द के कारण बाबूराव को ज्यादा चलने-फिरने में परेशानी होती थी। परंतु आज भी बाबूराव जिंदादिली की मिसाल थे। अपनी ठहाकेदार हँसी से वे आज भी लोगों को

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कुछ अनकही सी बाते

कुछ अनकही सी बाते है कुछ खामोश सी ये राते है है अजीब सी बेचैनी दिल में कैसी ये उलझती हुई सी राते है नींद कोसों दूर हुई चकोर की इन नयनों से जब जहन् ये ख्याल आया उसका चांद है चंदानी की आगोश मे अधरों पर खामोशी है और अंखियों में नीर धारा सरिता

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यथार्थ की झलक

आप सभी मित्रों को मेरा नमस्कार 🙏🙏 आज की मेरी कहानी है” एक बुजुर्ग के मन के भावो” को और कुछ यथार्थ स्वरूप को उजागर करती हुई जो मैने दिनांक 14 नवम्बर 2024 को लिखी थी जब मैने लिखने की शुरुआत ही की थी तो कुछ त्रुटियां ही सकती है नीलू एक नर्सिंग ऑफिसर है

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पी. यादव ‘ओज’ की कहानी – कठिन राह

कहते हैं, सोने को जितना अधिक आग में तपाओ, वह उतना ही अधिक चमकता है। ठीक उसी प्रकार हमारी ज़िंदगी भी है। ज़िंदगी के लिए आसान राह चुनना वास्तव में चुनौतियों को न्योता देना है, जबकि चुनौतियों का सामना करने से राह अपने आप आसान हो जाती है। कृष्णा नगर के पंडित श्यामाचरण जी की

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पढ़ लिख कर काबिल बनो,मै मांझी मांझा सभालु

पढ़ लिख कर काबिल बनो नारी तुम अपना भविष्य गढ़ों समझो मोल किताबों का और अपने लिए किताबें चुनो छोड़ों चूड़ी ,कंगन, गहने सारे माणिक, मोती ,कुंदन सारे छोड़ो अभी श्रृंगार सारे नारी तुम पहले चुनो अपने लिए किताबें ज्ञान का एक दीपक जलाकर कर लो रोशन,भविष्य के अंधेरे कदमों में हो चाहत बढ़ने की

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