१- पिता को समर्पित
हे पिता ! तुमको नमन,
तुमको नमन, तुमको नमन
हे पिता ! तुमको नमन,
तुमको नमन, तुमको नमन
तुमसे है यह धरती गगन
तुमसे है यह हंसता चमन
तुमसे है यह मां की हंसी
तुमसे है यह मेरा जन्म
तुम सत्व में अस्तित्व में,
निरपेक्ष में सापेक्ष में,
तुम पुत्र के सम्मान में,
पुत्री के स्वाभिमान में!
तुमसे है यह हस्ती मेरी,
मौजूदगी, संजीदगी
हे पितृ! मेरी हर खुशी ,
शामिल तुमही, शामिल तुमही !
पल-पल बदलते वक्त की
आवाज में भी हो तुमही,
जीवन की ढलती धूप में,
एक छांव प्यारी हो तुमही ।
नित तुम मेरे संघर्ष में,
नव वर्ष में उत्कर्ष में,
तुम ही हो शिष्टाचार में,
तुम ही मेरे व्यवहार में ।
जो भी सिखाया पितृ ने
अब वह मेरी पहचान है
तुमसे मेरा सम्मान है,
तुमसे यह स्वाभिमान है।
तुमसे यह स्वाभिमान है।
पित, बिन तुम्हारे कुछ नहीं,
तुम बिन हैं क्या ये जिंदगी।
तुमको मेरा प्रणाम है
तुमको मेरा प्रणाम है।।
२- रोटी की परिभाषा
रोटी का मूल्य क्या है, किसी ने पूछा तो जवाब आया——
भूखे के लिए भूख का मूल्य है रोटी,
मजदूर के लिए उसकी मजदूरी है रोटी,
अमिर के लिए दौलत का दिखावा है रोटी,
दुकानदार के लिए उसका मुनाफा है रोटी,
मां के लिए बच्चों की भूख है रोटी,
छात्र के लिए एक अच्छी सीख है रोटी,
ईमानदार के लिए उसका ईमान है रोटी,
और बेईमान के लिए ऊंची दुकान और फीका पकवान है रोटी,
भिखारी के लिए पूरे दिन की भीख है रोटी,
मेहनतकश के लिए पसीने की बूंद है रोटी,
ना मिले रोटी तो लोग ईमान बेच देते हैं,
जो ना हो पैसा तो घर का सामान बेच देते हैं,
गरीबों की ग़रीबी का आल़म ना पूछो,
गरीबों की ग़रीबी का आल़म ना पूछो,
बेचने पर ग़र आ जाए जो इंसान
तो रोटी की खा़तिर
खुद से पैदा हुआ इंसान बेच देते हैं
खुद से पैदा हुआ इंसान बेच देते हैं।