Grok इंटरनेट की दुनियाँ का सर्वाधिक रहस्यमय स्वरूप प्रस्तुत करता दिख रहा है

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Grok इंटरनेट की दुनियाँ का सर्वाधिक रहस्यमय स्वरूप प्रस्तुत करता दिख रहा है इसके पहले लोग हर प्रश्न का प्रामाणिक जवाब गूगल बाबा से पूँछने में पूरी सुविधा समझते और भरोसा करते थे, Googal भी अपने भीतर की ढेर सारी संग्रहित सामग्री से छाँट कर आपको जिज्ञासा शान्ति उपलब्ध कराता है, वही काम अब Grok भी कर रहा है, हाँ कुछ विकसित तो हुआ है.. यह बहस भी कर सकता है.. काल्पनिक उत्तर भी दे सकता है, हाजिर जवाब तो खैर है ही.. बहुत सारे निर्देशों को मानते यथा सामर्थ्य काम भी करते रहने की क्षमता रखता है.. शायद कुछ दिनों बाद आपके मस्तिष्क की तरंगों को पढ़ने की सामर्थ्य भी इसके पास आ जाये..
तब तो इसकी सेवाओं का अंदाज लगाना भी मुश्किल हो जायेगा..
“.. राणा की पुतली फिरी नहीँ, तब तक चेतक मुड़ जाता.. ”
वाली तर्ज पर यह आपके सोचते ही काम पर लग जायेगा..प्रतिक्रिया देने लगेगा और फिर इसके सामने “मुँह में राम बगल में छूरी” रखने वालों के लिए आफत ख़डी हों जाएगी,
इससे पूंछते ही यह किसी के भी मन की सारी बातें खोल कर रख देगा..
इसका चलन हो सकता है व्यवसायिक रूप से मानव संसाधनों के खर्च में भारी कटौती के रूप में देखा जाये, तमाम व्यवसायिक प्रतिष्ठान और सरकारें भी अपनी प्रगति का प्रतीक मान इस Grok के अत्यधिक उन्नत संस्करण हेतु सम्भव है अपनी अधिकतम ऊर्जा, संसाधन इसके विकास में झोंक दें परन्तु फिर भी यह जीवित हाड़ – मांस के मनुष्य से बेहतर.. विश्वसनीय.. संवेदनशील नहीँ बन सकता ..
यह कभी भी मनुष्य का विकल्प न है.. न हो सकेगा..
शायद सोचा भी नहीँ जा सकता इतनी अकल्पनीय क्षति पहुंचाएगी सम्पूर्ण संसार को इस AI और Grok की लगातार होती प्रगति और उसपर बढ़ती निर्भरता..
कभी सोच कर देखें.. कितने सारे मनुष्यों के चल रहे रोजी – रोजगार को हानि होगी..?
जो प्रखर युवा बुद्धि शिक्षा – स्वास्थ्य – समाज सुधार – राष्ट्र निर्माण में लगती,
वह इन इंटरनेट मीडिया पर सामग्री जुटाने वाले – बेचने वाले – अपनी इच्छानुसार संसार के अधिकतम संसाधनों पर कब्जा करने वालों की घृणित इच्छा पूर्ति में लग कर..अनजाने ही समस्त सृष्टि को नाश की ऒर ले जाने का साधन बनती जा रही है..
क्योंकि यह तो निश्चित ही है कि इस प्रकार के संयत्रो को निर्देश कोई व्यक्ति ही देगा..कोई युवा उस तकनीक का शोध करेगा और किसी के लिए उसका स्विच बनाएगा,अब सारा कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि उसकी नीति – नियत – दृष्टिकोण किसके प्रति सहज रूप में कैसी है, संसार के प्रति दृष्टिकोण कैसा है व्यक्तिगत रूप से उसका स्वभाव.. रूचि.. संस्कार.. कार्य की दिशा कैसी है.. ❓
सारा कुछ इसी पर निर्भर हो कर रह जायेगा.. वह व्यक्ति / समूह किस तरह की सोच के साथ इनके विकास हेतु तत्पर हैं.. अधिकतर दिखाया, बताया यही जाता है कि यह सब मानव मात्र के कल्याण हेतु किया जा रहा है.. राजनीति , धर्म , विज्ञान सब इसी घोषित लक्ष्य के आधार पर आगे बढ़ते कब मानव संहार की दिशा में बढ चलते हैं.. यह पता ही नहीँ चल पाता.. सामान्य जन तो इस प्रकार के नवाचारों से उपलब्ध सुविधा में ही मगन रहते हैं, उन्हें इसके आगामी परिणामो के बारे में सोचना ही नहीँ रहता, न वे कुछ कर पाने की सामर्थ्य रखते हैं..
कर पाने की सामर्थ्य तो प्रबुद्ध विचारक भी नहीँ रखते लेकिन वे जन जागरण करते नकाब के पीछे छिपे चेहरों की पहचान जरूर करा सकते हैं इसीलिए प्रबुद्ध जनों से संसार अपेक्षा करता है कि वे सृष्टि पर आसन्न खतरों के प्रति आम जन मानस को जागृत करें – बताएं
आपको यह सोच समझ सकने की क्षमता इसी उद्देश्यपूर्ति हेतु प्रभु ने प्रदान की है.. यदि इसका समय पर उपयोग नहीँ हुआ तो जहाँ एक ऒर समयावधि के पूरा होते ही सारी क्षमतायें समाप्त हों जायेंगी वहीं दूसरी ऒर हम सब..जाने अनजाने.. इन संसार पर प्रभुत्व करने का षड्यंत्र करने वालों के सहायक की भूमिका में दिखेंगे.. इस हेतु इतिहास भी किसी को कभी माफ़ नहीँ करेगा..

श्रीहरि वाणी

श्रीहरि वाणी
92/143 संजय गाँधी नगर, नौबस्ता, कानपुर -21
मो. 9450144500

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