INKALAB PUBLICATION

राकेश राकेश बैंस (भा.रे.इ.से.) की कहानी – अनमोल उपहार

ईश्वरदास माधोपुर गांव में अपनी पत्नी सावित्री के साथ रहता था और वह माधोपुर के पास ही, लगभग पाँच किलोमीटर दूर, एक दूसरे गांव बसोली में सरकारी हाई स्कूल में इतिहास का अध्यापक था। शादी के डेढ़ साल बाद ईश्वरदास के घर एक पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसका नाम उन्होंने युगदेव रखा। युग के आने […]

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कविराज मुकेशाऽमृतम् की कहानी – विश्वमहामारी

आज हम जिस देश को एशिया का ‘मरीज’ कहते हैं,या उसे एशिया के ‘मरीज’ के नाम से जानते हैं। कुछ लोग तो उसे सोया हुआ ‘शैतान’ भी कहते हैं। वह वास्तव में ही एशिया का मरीज हैं। जोन्स “अब वह एशिया ही नहीं वरन सम्पूर्ण विश्व का मरीज हैं।” डाल “वह केवल मरीज ही नहीं,

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पधारे श्री राम प्रभु द्वारे हमारे

जय श्री राम 🙏 🙏 खुल गए भाग्य हमारे पधारे श्री राम ,द्वारे हमारे अंगना रंगोली सजाओ हर घर में दीप जलाओ हर घर भगवा लहराओ करो स्वागत श्री राम प्रभु का भाग्य सब अपने जगाओ खुल गए भाग्य हमारे पधारे श्री राम प्रभु द्वारे हमारे बच्चे, बूढ़े,युवा सभी राम राम गुण गाओ खिल जाए

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अतिथि सत्कार

कार्यक्रम में आये अतिथि का सत्कार है , फूल और गुलदस्ता से अतिथि का सत्कार है , हर क्षण , हर पल आये अतिथि का सत्कार है , चाय , नाश्ता , कॉफी से अतिथि का सत्कार है , कार्यक्रम में आये हुए अतिथि का सत्कार है । सॉल और चादर ओढ़ाकर अतिथि का सत्कार

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संगठन का महत्व

* आज की कहानी * *संगठन का महत्व* एक आदमी था जो हमेशा अपने संगठन (ग्रुप) में सक्रिय रहता था । उसको सभी जानते थे , बड़ा मान सम्मान मिलता था, अचानक किसी कारण वश वह निष्क्रिय रहने लगा मिलना-जुलना बंद कर दिया और संगठन से दूर हो गया। कुछ सप्ताह पश्चात एक बहुत ही

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स्क्रीन की कीमत

स्क्रीन की कीमत शहर की चमचमाती गलियों में रहता था शत्रुघ्न, एक युवा जिसके हाथ में हमेशा उसका स्मार्टफोन रहता। सुबह से रात तक उसकी दुनिया उसी 6 इंच की स्क्रीन में सिमटी थी। नौकरी की ईमेल, दोस्तों के मैसेज, और सोशल मीडिया की चकाचौंध—उसके लिए यही सब कुछ था। घर में माँ-पिताजी अक्सर उससे

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आज का समाज

आज का समाज चमकते स्क्रीन के पीछे, चेहरे छिपे हैं, सपनों के पीछे भागते, रिश्ते सिमटे हैं। शोर में डूबी चुप्पी, सच का आलम खोया, इंसानियत का आलम, बस किताबों में सोया। सड़कों पर भीड़ है, पर दिल हैं सुनसान, हर कदम पर सवाल, कहाँ गया इंसान? प्रगति की राह में, मूल्य पीछे छूटे, गर्व

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दलसिंहसराय के इतिहास और संस्कृति पर आधारित नई किताब का विमोचन

प्रसिद्ध लेखक दीपक कुमार द्वारा लिखित “दलसिंहसराय: इतिहास, संस्कृति और धरोहर” नामक पुस्तक का हाल ही में विमोचन किया गया है। यह पुस्तक बिहार के छोटे लेकिन महत्वपूर्ण कस्बे, दलसिंहसराय की समृद्ध धरोहर, ऐतिहासिक घटनाओं, और सामाजिक संरचना पर गहन प्रकाश डालती है। लेखक ने इस किताब में दलसिंहसराय की अनकही कहानियों, परंपराओं और संस्कृति

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निरंजना डांगे की कविता – माता के कालरात्रि स्वरूप की महिमा

रग रग में आस्था भरे भक्ति ज्योत हृदय जले करे पूजन माता के नौ रूपो का मन में श्रद्धा सुमन पुष्प लिए नव रंग ,नव रूप, नव साज लिए मन में उमंग और हृदय उल्लास लिए सुने हम गाथा माता की मन में विश्वास लिए ये है गाथा मां दुर्गा की नव स्वरूपों की नाम

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पवन सुरोलिया “उपासक” की कविता – जरा ठहर जा जिंदगी……..!!

जरा ठहर ज्या ऐ जिंदगी, क्यूं भग रही है! जरा सुस्ता लेे, थकी सी लग रही है! क्यूं कर रही है जिद्द उम्र से……. जरा ख्याल रख अपना, उम्र भी ढल रही है!! तकाजा ए उम्र अब कुछ, मुनासिब नहीं है! चाहता है जिसको तूं वो, अब करीब नहीं है! उतर रही है ढलान में

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