यह कहानी केवल सत्यता पर आधारित है। क्योंकि यह मेरे अपने मायके की खबर एक घटनाक्रम में है। आज मैं यहां लगभग पांच वर्ष पहले की बात बताना चाहती हूं। मध्यप्रदेश के जिला छिंदवाड़ा की तहसील परासिया में मेरा मायका है। और मेरे मायके में मेरी छोटी बहन की शादी डेहरिया समाज में तय हुई और शादी के एक दिन पूर्व सभी रिश्तेदार, परिवार शादी समारोह में आए। हमारे समाज परिवार में अक्सर शादी में पूरा परिवार इकठ्ठा होने लगता है। क्योंकि उस दिन मंडप का कार्यक्रम होता है और फिर सभी देवी-देवता, पूर्वजों के पूजन विधि-विधान से होना शुरू हो जाता है। इसी तरह मेरे मायके में भी सभी मेहमान एकत्रित होने लगे। मंडप का कार्यक्रम होने के बाद तेल मायना, माता पूजन, कुल देवी देवता, पूर्वजों का पूजन आदि सभी मांगलिक कार्यक्रम संपन्न हुए। शादी के दिन परिवार के सभी सदस्य तैयारी में लगन से जुट गए क्योंकि शादी का कार्यक्रम स्थल हमारे घर से करीब पांच किलोमीटर दूर कोसमी हनुमान मंदिर प्रांगण में होने वाला था। कोसमी मंदिर के हनुमान दादा के चमत्कार के किस्से बहुत है। उनका आशीर्वाद पाने और उनके श्री चरणों के दर्शन करने, माथा टेकने के लिए दूर-दूर से भक्तगण आते है। कोसमी वाले हनुमान दादा की महिमा अपरम्पार है। इस तरह परिवार के सभी सदस्य शादी स्थल में आवश्यक सामग्री पहुंचाने में लग गए। दूर-दूर से मेहमान आने लगे कोई घर परासिया में आने लगे तो कोई सीधे कोसमी मंदिर पहुंचने लगे सुबह से ही मेहमानों का आना शुरू हो गया। क्योंकि हमारे परासिया में आने जाने के लिए ट्रेन और बस का साधन बहुत कम है।
शादी का दिन था सभी घर परिवार के लोग अपने-अपने काम में व्यस्त थे और घर से लेकर कोसमी हनुमान मंदिर शादी स्थल तक घर से ऑटो से मेहमानो को और आवश्यक सामग्री को धीरे-धीरे शादी स्थल पर भेजा जाने लगा। दो तीन बार ऑटो वाले ने सामान और मेहमानों को अच्छे से पहुंचाया। लेकिन तीसरी बार जब घर के ही परिवार ऑटो में बैठे और ऑटो में गैस टंकी सहित दुल्हन का श्रृंगार वाला सामान लेकर ऑटो जाने लगा तो अचानक परासिया से निकलने के बाद सीधी सड़क पर पलट गया। जबकि वहां पर कोई गडडा भी नही था, ना ही ब्रेकर था। ऑटो में केवल घर परिवार के ही बड़े लोगो के साथ-साथ दो तीन छोटे-छोटे बच्चे भी बैठे थे।
ईश्वर की कृपा तो देखो कि ऑटो पूरा पलट गया लेकिन केवल बड़े लोगो को ही चोटें आई लेकिन छोटे बच्चों को कुछ भी नही हुआ। जैसे यह घटना हुई आसपास के लोगो ने दौड़कर ऑटो में बैठे सभी लोगो को उठाया फिर ऑटो को भी उठाया और घटना स्थल से सभी लोगो को तुरंत हॉस्पिटल पहुंचाया और सभी का ईलाज कराया गया। लेकिन भगवान की कृपा और पूर्वजों के आशीर्वाद से बहुत बड़ा हादसा या कलंक लगने से बच गया। घर परिवार के लोगो ने भगवान, पूर्वजों और कोसमी वाले हनुमान दादा का धन्यवाद किया। और करीब दो घंटे के इलाज के बाद सभी लोग हॉस्पिटल से कोसमी मंदिर शादी स्थल में जैसे के वैसे सुरक्षित आए। सभी को केवल थोड़ी-थोड़ी चोटें भर आई थी। शादी स्थल पर परिवार के द्वारा जिन लोगो का एक्सीडेंट हुआ था उन सभी के परिवार के लोगो के लिए अलग से बैठने की व्यवस्था की गई ताकि उन्हें कोई समस्या या परेशानी ना हो।
यह घटना को घटे लगभग दो घंटे हो गए पर इसकी खबर शादी वाले घर में बहुत देर बाद पता चली और जब घर में पहुंची तो घर में सन्नाटा सा छा गया। पूरा का पूरा घर परिवार के सभी लोग मायूस हो गए और चिंता करने लगे कि हे भगवान यह क्या हो गया।
अच्छा हुआ कि किसी को कुछ भी ना हुआ अन्यथा समाज में बहुत बड़ी बेज्जती होती। बस यह विनती और प्रार्थना भगवान से करने लगे। तभी घर पर सूचना आई की ऑटो में बैठे सभी घर के सदस्यों को ज्यादा चोटें नहीं आई है। बल्कि हल्की-हल्की चोंट लगी है। वर्तमान में सभी का स्वास्थ्य ठीक है और सभी का ईलाज हो गया है ऑटो में जो छोटे बच्चे बैठे थे वे सभी बच्चे स्वस्थ है। इतनी खबर मिलते ही घर में खुशी आई और घर के सभी लोगो का मन अब शादी के काम में लगा और फिर से घर के सभी लोग शादी की तैयारी में पुनः लग गए धीरे-धीरे घर परिवार के सभी लोग शादी स्थल कोसमी मंदिर हनुमान धाम प्रांगण में पहुंच कर शादी में एकत्रित होने लगे। बड़े धूमधाम से शादी कार्यक्रम में हर्षोल्लास से सभी सजने संवरने लगे, नाचने लगे, गाने लगे, मौज मस्ती करने लगे तभी बारात आई और विधि-विधान से कोसमी मंदिर में दोपहर के समय में शादी का कार्यक्रम विधि-विधान से संपन्न हुआ। सभी परिवार रिश्तेदार के लोग कोई वापस घर जाने लगे तो कोई हमारे घर वापस आने लगे। इस तरह शादी कार्यक्रम सफल होने के बाद दुल्हन पक्ष वाले याने मेरे मायके वाले ने दूल्हा-दुल्हन को विदाई कराने के लिए घर परासिया लेकर आए और घर परिवार के सभी लोग फिर अपने-अपने कामों में व्यस्त हुए। खुशी-खुशी दोनो दूल्हा-दुल्हन की घर से विदाई हुई। इस तरह शादी में किसी को किसी की चिंता नहीं थी केवल सभी हसीं, खुशी, मौज, मस्ती, नाचने, गाने में व्यस्त हुए।
शादी के घर से दूल्हा-दुल्हन की विदाई होने के पश्चात अचानक मेरे पिताजी श्री अशोक डेहरिया के द्वारा घर के पीछे रखे सामान की निगरानी करने के लिए पीछे गए तो अचानक उनकी नजर जामफल के पेड़ पर पड़ी और फिर क्या देखा कि जामफल की दो टहनी के बीचों बीच एक बंदर आराम से बैठा हुआ है। मेरे पिताजी ने सोचा की यह बंदर किसी बच्चे, बड़े या किसी मेहमान को कोई नुकसान ना पहुंचा दे ऐसा सोचकर पेड़ के पास जाने लगे। लेकिन वह बंदर टस से मस नहीं हुआ और बस एक टक में केवल देख ही रहा था। मेरे पिताजी ने सोचा कि यह कोई हरकत क्यों नहीं कर रहा है। जबकि बंदर की तो आदत में है कि वह एक जगह सीधे बैठे नहीं रहते। मेरे पिताजी को शंका हुई की क्या बात है कि यह हिल-डुल क्यों नहीं रहा। फिर मन में यह सोचते-सोचते जामफल के पेड़ के पास पहुंचे तो क्या देखते है कि वह बंदर दोनो टहनी को पकड़े हुए शांत बैठा हुआ है और किसी भी तरह की कोई हरकत नहीं कर रहा है। और उसकी खुली आंखों से घर की ओर लगातार एक टक लगाए निहार रहा है। मेरे पिताजी जब जामफल के पेड़ और बंदर के एकदम पास पहुंच गए तो समझ में आया की वह बंदर मर चुका है। लेकिन सोचने कि बात यह है कि वह बंदर मरा तो मरा कैसे…?
यह बहुत चिंता का विषय था क्योंकि उस पेड़ की दोनो टहनी में बहुत जगह थी और बंदर आराम से इधर उधर निकल सकता था। घर के बाकी लोगो को जब यह बात पता चली तो सभी लोग पेड़ के पास आए और सबने अपनी आंखो से यह आंखों देखा हाल देखकर यह समझ पाए कि वह बंदर शायद करीबन चार पांच घंटे पहले से मर चुका है। लेकिन बंदर के मरने के बाद भी उस बंदर के चेहरे पर कोई तनाव नजर नहीं आया ऐसा लग रहा था मानो वह खुशी-खुशी मरने के लिए ही आया हो।
अब घर पर रुके हुए मेहमान और घर परिवार के सभी लोग तरह-तरह की बाते करते रहे। जब सभी लोग एकत्रित हुए फिर उस बंदर को आराम से पेड़ से निकालकर उसको घर के पीछे की खुली जगह में एक गड्डा खोदकर धरती माता के सुपुर्द किया गया।
सोचने वाली बात यह थी कि आज घर में शादी का कार्यक्रम था और दो अलग-अलग जगह पर एक ही परिवार की अजीबोगरीब घटना हुई। और खास बात तो यह हुई की घर के किसी भी सदस्य को कोई हानि नहीं हुई। ऑटो पलटने के कारण केवल मामूली चोटें भर आई थी।अब घर परिवार के सभी लोग सोचने पर मजबूर हो गए की ऐसा हुआ तो क्यों हुआ, किस कारण हुआ, क्या वजह होगी।
घर परिवार के बुजुर्ग लोगो के साथ-साथ सभी घर के सदस्य भी बैठे और चर्चा करने लगे कि अपने यहां लड़की की शादी अच्छे भले से होकर वह ससुराल विदा हो गई। लेकिन सोचने वाली यह बात है कि शादी के दिन ही दो घटना अलग-अलग तरीके से हुई। अच्छी भली सीधी सड़क पर ऑटो का अचानक पलट जाना और दो टहनी के बीच में आराम से बैठे बंदर का मर जाना यह दोनो घटना सोचने को जरूर मजबूर करती है।
छिंदवाड़ा जिला में हमारे समाज को डेहरिया समाज के नाम से जाना माना जाता है। लेकिन हमारी मूल जाति मेहरा है और मुख्यतः हम मेहरा समाज के ही है। और मेरे पिताजी तामिया के पास पैतृक ग्राम हर्राहेट में डेहरिया परिवार के गोत्र बंदराह सरनेम के मूल निवासी है। वैसे मेरे पिताजी अपना नाम श्री अशोक डेहरिया लिखते है। मेरे पिताजी के गोत्र के अनुसार हम बंदराह याने बंदर के वंशज है। हमारे गोत्र या कुलवंश में कोई भी कार्यक्रम हो सबसे पहले बंदर या हनुमान जी की पूजा अर्चना करने का रिवाज है। और इत्तेफाक से मेरी छोटी बहन की शादी का कार्यक्रम भी कोसमी वाले हनुमान मंदिर के प्रांगण में सम्पन्न हुआ। इस तरह हम अपने पूर्वजों की छत्रछाया हमने शादी कार्यक्रम का आयोजन रखा था।
जरा सोचो और सोचना भी जरूरी है कि मेरी माताजी श्रीमति मंगलवती डेहरिया और पिताजी श्री अशोक डेहरिया ने विधि-विधान से पूर्वजों की शरण में जाकर लड़की की शादी करने का मन बनाया और भगवान ने शादी कार्यक्रम में बिना हानि के खुशी-खुशी शादी सम्पन्न हो जाए ऐसा हनुमान जी का आशीष भी बना रहा।
कहते है कि जहां पांच लोगो का मिलना, विचार करना, निर्णय लेना यह सब पंच परमेश्वर की श्रेणी में आता है और जहां पांच लोग जुड़ जाए उसे पंच परमेश्वर कहते है। भले ही चाहे कोई भी इसे अंधविश्वास कहे, चलेगा…, क्योंकि वह कहने वाला व्यक्ति वहां नहीं था। वह कुछ भी कह सकता है क्योंकि उसका मुंह है। लेकिन जिसको कोई समस्या होती है, दर्द होता है, भयभीत होता है केवल उससे जानो कि पीड़ा क्या होती है। शादी के दिन हुई अचानक दोनो अप्रिय घटनाओं ने सभी को सोचने के लिए मजबूर कर दिया था। लेकिन भगवान की असीम कृपा रही की दो घटनाओं के होने के बावजूद भी बहन की शादी में किसी तरह का व्यवधान नहीं हुआ। बहुत सादगीपूर्ण तरीके से शादी कार्यक्रम और दूल्हा-दुल्हन की विदाई हुई। दूल्हा परिवार वालो के समक्ष दुल्हन परिवार वालो को किसी भी प्रकार से शर्मिदा नहीं होना पड़ा।
ईश्वर की कृपा, पूर्वजों के आशीर्वाद और कोसमी वाले हनुमान जी की दया से आज मेरे मायके में घटित दोनो घटनाओं से हमारे घर परिवार की रक्षा हुई, यह कि ऑटो पलटी जरूर लेकिन भगवान ने किसी को हानि नहीं होने दी और हमारे घर परिवार पर जो भी मुसीबत आई या आने वाली होगी उसको स्वयं हमारे पूर्वज देवता ने बंदर स्वरूप आकर अपनी जान गवांकर हमारे घर परिवार को बाल-बाल बचाया। यह घटनाक्रम को पूरे समाज ने माना और अपनी आंखों से देखा जो एक सच्चाई है।
कहते है कि “जाको राखे साइयां मार सके ना कोई, और बाल न बांका कर सके जो जग बैरी होई” इस कहावत को पहले बहुत सुना था लेकिन आज सच होते हुए देखा।
आज यह “अद्भुत चमत्कार” होते हुए पूरे समाज और रिस्तेदारो ने अपनी आंखो से देखा और समाज के लोगो ने भगवान की कृपा के लिए धन्यवाद भी दिया क्योंकि सभी ने अपनीआंखो से यह नजारा देखा था।
यह कहानी एक सत्य घटना पर आधारित है जो मेरे याने लेखिका के घर परिवार की है। सच में भगवान किसी न किसी रूप में भक्तों की रक्षा करते है। आज यह घटनाक्रम लिखते हुए भी मेरी अपनी आंखों में आंसू आ गए है। लेकिन यह आंसू खुशी के है कि आज मेरे मायके के घर परिवार में खुशहाली है।
पता – आमला, जिला- बैतूल (मध्यप्रदेश)