कुछ अनकही सी बाते है
कुछ खामोश सी ये राते है
है अजीब सी बेचैनी दिल में
कैसी ये उलझती हुई सी राते है
नींद कोसों दूर हुई
चकोर की इन नयनों से
जब जहन् ये ख्याल आया
उसका चांद है चंदानी की आगोश मे
अधरों पर खामोशी है
और अंखियों में नीर धारा सरिता सी
दिल में गहरी उदासी
और हृदय पर सिलवटें है अनजाने दर्द की
रात ये काटे कटती नहीं
नीर धारा अश्रुवन की रूखती नहीं
कैसे समझाएं नादान हृदय को
विचारों की ये दरिया पार होती नहीं
निरंजना डांगे
बैतूल मध्यप्रदेश