ये कैसी नमी ! Leave a Comment / कविता / By Minu Agarwal अपने दोस्तों के साथ अवश्य साझा करें।उद्धस सी जमीं सूखी-बेजान सी धरा को, अचानक हुआ कुछ तरावट का एहसास धरा का मन प्रफुल्लित हर्ष से आनंदित हलाहल कर उठेगीं, फसल, हजार परन्तु शीघ्र ही खुशी सारी मायूसी में बदल गई धरा का कलेजा छलनी हो गया वह नमी तो थी एक कृषक की ,अश्रुधार।। Related