sas bahu ki kahani

डॉ सत्येन्द्र कुमार की कहानी – गुरु बिन ज्ञान कहां से पाऊं

संत फरीद अत्यंत ही सरल, प्रखर ज्ञानी, प्रभावशाली व्यक्तित्व थे। कहते हैं जागृत अवस्था में ही वे प्रभु से सीधा वार्तालाप कर लेते थे। उनके अनेकों शिशु हुए जो ज्ञानी और पहुंचे हुए थे। एक बार एक प्रिय शिष्य गुरु संत फरीद से सीधा सवाल कर दिया, महात्मन, आप इतने प्रकांड ज्ञान और मानव रहस्यों […]

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विजय गर्ग की मशहूर कहानी- बुजदिल एक बार आप भी अवश्य पढ़ें

कलावती के पत्नी बन कर उस की जिंदगी में आने के बाद क्या उस की किस्मत ने भी करवट ली थी या सचाई कुछ और ही थी? सुंदर के मन में ऐसी कशमकश पहले शायद कभी भी नहीं हुई थी. वह अपने ही खयालों में उलझ कर रह गया था. सुंदर बचपन से ही यह

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कहानी:  अजनबी खिड़की

रेखा को वो पुराना घर किराए पर मिला था—शहर की हलचल से थोड़ा दूर, शांत और पेड़ों से घिरा हुआ। एक लेखक के लिए इससे अच्छी जगह क्या होती? एकांत, शांति और समय। घर में सब कुछ ठीक था, बस ऊपर की एक खिड़की अजीब लगती थी। वो खिड़की बाहर की ओर खुलती थी, लेकिन

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दुर्दिन

दुर्दिन

” भाई जरा वो वाली साड़ी निकालना ” दुकानदार से यह कहते हुए जिग्नेश अन्य वस्तुओं की खरीद दारी में लग गया। घर से मां का फोन आया था की ” जिगर बबुआ इस बार होली पर जरूर से आ जाओ , बहुत दिन होइ गवा तुमका देखे। हाँ मां उसे प्यार से जिगर ही

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विजय गर्ग की कहानी- भेंट

बूढ़े की श्रद्धा देखकर रंजन साहब भावुक हो उठे। जाने क्यों कोने पड़े उपहारों की ढेरी में सबसे कीमती उपहार गठरी में बंधे ये चावल ही जान पड़े। गठरी भी कैसी बिल्कुल दीन-हीन अवस्था में। एक बारगी लगा जैसे सुदामा आ गए हों कृष्ण की द्वारिका में और कृष्ण ने सुदामा की चावल से भरी

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डॉ. हरिदास बड़ोदे 'हरिप्रेम' मेहरा

डॉ. हरिदास बड़ोदे ‘हरिप्रेम’ मेहरा की मार्मिक कहानी -अजब प्रेम की गजब कहानी

लेखक की कलम आज केवल अपने वास्तविक जीवन पर ही कुछ लिखने को मजबूर है। अजब प्रेम की गजब कहानी, लेखक की जुबानी और लेखक की कहानी में दिल की गहराई को समझना कोई खेल नहीं है। लेखक के संघर्षमय जीवनकाल के एक संक्षिप्त अंश का वर्णन किया गया है। और यहां एक वास्तविकता के

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विजय गर्ग की कहानी: उड़ान

अपनी नईनवेली पत्नी को गांव में छोड़ कर कपिल शहर लौट गया. वहां ज्यादा तनख्वाह की चाह में उस ने मोहिनी के यहां नौकरी कर ली. पर मोहिनी के इरादे तो कुछ और ही थे. कपिल का नईनवेली पत्नी को छोड़ कर ड्यूटी पर जाने का जरा भी मन नहीं था. शादी के लिए उस

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विजय गर्ग की कहानी: अकेली लड़की

रूबीना का रिजर्वेशन जिस बोगी में था, उसमें लगभग सभी लड़के ही थे । टॉयलेट जाने के बहाने रुबिना पूरी बोगी घूम आई थी, मुश्किल से दो या तीन औरतें होंगी । मन अनजाने भय से काँप सा गया। पहली बार अकेली सफर कर रही थी, इसलिये पहले से ही घबराई हुई थी। अतः खुद

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विजय गर्ग की कहानी: वही खुशबू

भैरों सिंह का बीमारों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहना एक पहेली बना हुआ था. वह किसी भी व्यक्ति की, चाहे वह अपरिचित ही क्यों न हो, स्वयंसेवक की तरह सहायता करता था. कुछ लोग इसे उस की पीने की लत से जोड़ते. पर, क्या वास्तविकता यही थी? बहुत दिनों से सुनती आई थी

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प्रज्ञा तिवारी की कहानी – आत्मनिर्भर

कभी-कभी थोड़ी ऊंचाई पर पहुँच जाना भी व्यक्ति के लिए भयानक बन जाता है।जब व्यक्ति के व्यवहार में लोगों को प्रभावित करने के लिए कोई हुनर न हो।स्वयं के बल पर समाज के साथ चल पाना एक चुनौती भरा कार्य होता है।और जिस व्यक्ति के विचार में समाज को बदलने की क्षमता जाग्रत हो गई

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