मीनू अग्रवाल की कहानी -नियामत

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राहुल अपनी पत्नी मृदुला पर चिल्ला रहा था,” आज फिर वही खाना! वही रोटी, वही दाल, वही सब्जी!!! तुम्हें और कुछ बनाना भी आता है या नहीं? रोज वही रोटी – दाल खाते-खाते मैं ऊब गया हूं ।” कहकर राहुल बिना कुछ खाए तमतमाएं अपने काम पर चले गए। तभी अचानक दरवाजे पर घंटी बजी। मृदुला ने दरवाजा खोला तो सामने सड़क पर काम कर रहा, पसीने से लथपथ एक मजदूर खड़ा था। उसने मृदुला से पानी पीने को मांगा। मृदुला को उस पर दया आ गई। उसने पुरानी बोतल में पीने का पानी उस मजदूर को दे दिया। थोड़ी देर बाद मृदुला कुछ काम से बाहर गई तो उसने देखा कि वही मजदूर छांव में बैठकर, घर से लाई रोटी दाल बहुत ही स्वाद लेकर खा रहा है। रोटी खाकर उसने बोतल का पानी पिया और तृप्त होकर पुनः अपने काम में लग गया। मृदुला सोचने लगी कि, मेरे पति और मजदूर में कितना अंतर है। जिसे भगवान सब कुछ दे रहा है उसे उसकी कद्र नहीं और जिसके पास कुछ नहीं है, वह जो मिल जाए उसे नियामत समझकर स्वीकार कर लेता है ।

पता – D63/31 A-6, Panchsheel colony,
Mahmoorganj ,Varanasi Uttar Pradesh – 221010

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