पृकृति एवं बेटियाँ
पृकृति और हमारी बेटियों की प्रवृत्ति में काफी हद तक समानताएं हैं। या यूँ कह लीजिए, एक ही तराजू के दो पलड़े हैं।
हम और आप भलीभांति जानते हैं कि- प्रकृति नहीं होती तो जीवन असंभव था, और यदि बेटियाँ नहीं होती तब भी। यदि हम प्रकृति को सुरक्षित रखते हैं तो प्रकृति हमें भी सुरक्षित रखती है । और यदि हम बेटियों को सुरक्षित रखेंगें तो वो हमें भी।
यदि हम किसी को क्षति पहुँचाने का प्रयास करेंगें तो आज नहीं तो कल वो हमारे लिए भी नुकसानदेह साबित हो सकता है। प्रकृति और स्त्रियाँ जितना आप उन्हें देंगे वो आपको उसका गुणात्मक रूप अदा करती हैं
आइए बात करते हैं प्रकृति पर-
एक पौधा रोपण मात्र से प्रकृति हमें उससे कई गुना अधिक चक्रवृद्धि ब्याज के रूप में प्रदान करती रहती है । उदाहरण- फल, फूल, खाद,बीज, ऑक्सीजन,लकड़ी,बारिश,छाया ,दवाइयां,आदि । हमने क्या किया है उसके लिए बस थोड़ी सी मेहनत उसके बदले प्रकृति ने हमें कितना कुछ नहीं दिया। हमारी आने वाली पीढ़ी तक को अदा करती रहती है जब तक जड़ न नष्ट हो जाये,उससे हमें कई लाभ मिलते रहते हैं। ऐसे ही स्त्रियाँ केवल इज्जत,सम्मान और थोड़ा सा प्रेम मात्र चाहती हैं जिन घरों में उन्हें स्नेह और इज्जत मिल जाती है उनका संपूर्ण परिवार खुशहाल बनाने की कोशिश करती रहती हैं वह भी प्रकृति की तरह ही हम सबको ज्यादा से ज्यादा देने की कोशिश करती हैं
कुछ घटना मात्र से लोग अपने मानसिक विचार बदल लेते हैं, किंतु यदि हम प्रकृति को आज क्षति पहुँचा रहे हैं तो उनके भी परिणाम भी हमें दिन व दिन नजर आ रहे हैं।
उदाहरण के तौर पर-
भूकंप,बाढ़, तूफान, कम बारिश, महामारी आदि जब प्रकृति की सहनशक्ति है तो स्त्रियां कब तक सहती रहेंगी कहते हैं जो बोया है काटने के लिए भी वही प्राप्त होगा। एक पौधे से अनेक और अनेक से अनन्त तक के इस सफर से हमें भौतिक,शारीरिक और मानसिक कई एक फायदे मिलते रहते हैं।
इसलिए प्रकृति और बेटियों / स्त्रियों को सुरक्षित रखने का प्रयास कीजिए।
Save Nature & Save Daughter🙏🙏