दास्तान-ए-एहबाब
दास्तान-ए-एहबाब मैं गहरा और गहरा, गहराता जा रहा हूँ, अब क्या छुपाना, मैं खुदा के पास जा रहा हूँ! ना […]
दास्तान-ए-एहबाब मैं गहरा और गहरा, गहराता जा रहा हूँ, अब क्या छुपाना, मैं खुदा के पास जा रहा हूँ! ना […]
तू मुझे चाँद सा लगता है या यूँ कहूँ पूरा आसमान सा लगता है तेरा मुझको नहीं पता मगर… मुझको
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