शीर्षक:- विधि विधान प्रबल है…….!!
एक बार पृथ्वी पर देवताओं का सम्मेलन आयोजित किया गया और उस सम्मेलन में देवलोक से सभी देवताओं ने हिस्सा लिया! सभी देवता अपने अपने वाहनों से सम्मेलन में भाग लेने के लिए देवलोक से पृथ्वी पर आ रहे थे! उसी समय पर सम्मेलन में भाग लेने के लिए सूर्यपुत्र यमराज (जो जीवात्माओं के शुभ – अशुभ कर्मों का न्याय करने वाले देव है) वो अपने वाहन महिष (भैंसे) पर आए और सम्मेलन में चले गए…….!!
तत्पश्चात, विष्णु भगवान अपने वाहन गरुड़जी पर चढ़ कर पृथ्वी पर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आए! विष्णु भगवान भीतर चले गए और गरुड़ जी ने एक कोने में वहां नन्ही सी चूहियां को डरते हुए देखा! तब गरुड़जी ने उस चूहियां से डरने का कारण पूछा कि तुम डर क्यों रही हो चूहियां….?
प्रत्युत्तर में चूहियां ने गरुड़जी से कहा कि अभी थोड़े देर पहले यमराज जी यहां आए थे और भीतर प्रवेश करते समय उनकी दृष्टि मेरे ऊपर पड़ गई और वो मुस्कराते हुए भीतर चले गए! अत: अब मुझे यह डर सता रहा है कि वो जब बाहर आयेगे तब मुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे और मेरे प्राणों का हरण कर लेंगे; इसलिए मैं डर रही हूं……..!!
चूहियां को ढाढस बंधाते हुए गरुड़जी ने कहा कि मैं तुमको सात समुंदर पार एक टापू है और वहां एक मांद में छोड़ कर आ जाता हूं! क्योंकि अभी सम्मेलन शुरू हुआ है और समाप्त होने में काफी समय लगेगा! तब तक मैं तुम्हें वहां छोड़कर पुन: यहां आ जाऊंगा जिससे यमराज जी को ज्ञात भी नहीं होगा….!!
सम्मेलन समाप्त होने के बाद सभी देवता अपने अपने वाहनों पर सवार होकर देवलोक गमन करने लग गए! तभी यमराज जी आए और उस चूहियां को खोजने लगे जिसको उन्होंने भीतर प्रवेश करते वक्त देखा था……!!
स्थिति को भांपते हुए गरुड़जी ने यमराज जी से पूछा कि महाराज क्या ढूंढ रहे हो ? तब यमराज जी ने कहा कि हे गरुड़ जी मैं उस चूहियां को ढूंढ रहा हूं जो यहां पर बैठी थी! गरुड़जी ने फिर कहा कि महाराज आप उसको क्यों ढूंढ रहे हो, कोई उद्देश्य…..!!
प्रत्युत्तर में यमराज जी ने कहा कि हे गरुड़जी जब मैं भीतर जा रहा था तब वह चूहियां यहां बैठी थी और मैनें उसे देखकर यह सोचा की इसकी मृत्यु सात समुंदर पार एक टापू है और टापू पर एक मांद है और मांद के भीतर एक सर्प रहता है; जहां इसको निवाला बनना है, जो विधि विधान है और यह यहां बैठी है! इस रहस्य को देखकर मुझे हंसी आ गई थी……!!
तब गरुड़जी ने कहा कि हे महाराज मैं चूहियां को वहां छोड़ आया हूं…..!!
अत: मृत्यु अटल सत्य है जहां जिसकी जैसी गति विधि ने लिख दी है वहां जीव स्वयं पहुंच जाता है, साधन बन जाते है……!!
जय मां भगवती……!!
✍️….. पवन सुरोलिया “उपासक”