कारे-जहाँ
कारे-जहाँ1 आजकल इस तरह बन गये, ज़हीन2 ख़तरे में, इबलीस3 मोहतात4 बन गये! ख़ुदा ने बनाया हमें उन्वान5 देकर – “इंसान”, दैर-ओ-काबा6 बनाकर हम क्या से क्या बन गये! सहीफ़ा7 जो दिया नेक बंदे को ख़ुदा ने, जनाब खुद मसीहा, ईबादत के मरकज़8 बन गये! ख़ुदा ही रहा मेरा मुस्तहक9 अजल10 से, ये तो दुनिया […]