पं.जमदग्नपुरी की कविता – नयन से खून है बहने लगा
अश्रु के बदले नयन से खून है बहने लगा| दुष्ट दरिन्दे म्लेच्छों ने किया है फिर से दगा|| डाला भून पूँछकर है नाम जान हिन्दू को बस| देख दोगलों की हरकत है हृदय धधकने लगा|| शांत था कश्मीर खुब खिल उठी थी वादियाँ| हो रही अजान थी खुब बज रही थी घंटियाँ|| आज शांती […]
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कविता