लघुकथा

प्रज्ञा तिवारी की कहानी – आत्मनिर्भर

कभी-कभी थोड़ी ऊंचाई पर पहुँच जाना भी व्यक्ति के लिए भयानक बन जाता है।जब व्यक्ति के व्यवहार में लोगों को प्रभावित करने के लिए कोई हुनर न हो।स्वयं के बल पर समाज के साथ चल पाना एक चुनौती भरा कार्य होता है।और जिस व्यक्ति के विचार में समाज को बदलने की क्षमता जाग्रत हो गई […]

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कहानी, लघुकथा

प्रज्ञा तिवारी की कहानी – प्रायश्चित

आज भावनाओं में दर्द और दर्द में कड़वाहट भर उठा था।स्वर मौन औऱ ह्रदय में चीत्कार,जेहन में जहर भर गया था।ओह! शायद मैंने उसका जहर चख लिया था। आज आँखे चाँद नही देख रही थी,चाँदनी रात जैसे छल रही थी।जो कभी भावनाओं को गुलाबी करती थी। इस शरद रात में बिस्तर पहाड़ी ढलानों पर बिछा

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कहानी, लघुकथा

विजय गर्ग की अनोखी कहानी – पति के नोट्स

यदि पत्नी का काम और व्यक्तित्व अलग पहचान बनाने लगता है, तो फिर एक पति को जलन क्यों होने लगती है? एक पति क्यों चाहता है कि उस की पत्नी ताउम्र उस की दासी बन कर रहे… दूसरे शादीशुदा लोगों की तरह मैं भी एक पति हूं. कुछ साल पहले मैं भी एक आम आदमी

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कहानी, लघुकथा

विजय गर्ग की कहानी – दुल्हन पर लगा दांव

माया के प्रेम के चलते रवि राउत ने अपनी शादी से पहले ही होने वाली दुलहन सुलेखा की हत्या की योजना बना ली थी. शादी के बाद माया और उस ने सुलेखा को मारने की कोशिश भी की लेकिन. सुर्ख जोड़े में सजी नईनवेली दुलहन सुलेखा दोस्त जैसे पति रवि राउत को पा कर बहुत

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कहानी, लघुकथा

जितेन्द्र नाथ मिश्र की कहानी – बदला

कहानी आज से बीस वर्ष पहले की है।सुलेखा ने एक बच्चे को जन्म दिया । नर्स ने कहा मुबारक हो सुलेखा ।आपको बेटा हुआ है। सुनते ही उसकी आंखों में अजीब सी चमक दिखाई दी। लगा अब उसकी तपस्या निश्चित रूप से पुरी होगी। अस्पताल से नाम कटने के समय बच्चे का जन्म प्रमाणपत्र बनाने

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कहानी, लघुकथा

मीनू अग्रवाल की कहानी -नियामत

राहुल अपनी पत्नी मृदुला पर चिल्ला रहा था,” आज फिर वही खाना! वही रोटी, वही दाल, वही सब्जी!!! तुम्हें और कुछ बनाना भी आता है या नहीं? रोज वही रोटी – दाल खाते-खाते मैं ऊब गया हूं ।” कहकर राहुल बिना कुछ खाए तमतमाएं अपने काम पर चले गए। तभी अचानक दरवाजे पर घंटी बजी।

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कहानी, लघुकथा

सोनिया दत्त पखरोलवी की कहानी – दर्द से राहत

बीमार सुशील के सिर पर गीली पट्टियाँ रखते हुए रीना की आँखों में चिंता गहरी होती जा रही थी । बुखार था कि उतरने का नाम ही नहीं ले रहा था, और ऊपर से दवाई के लिए पैसे भी नहीं थे । आखिर, रीना से रहा न गया । उसने सुशील की अध्यापिका को फोन

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कहानी, लघुकथा

डॉ. नीरज पखरोलवी की कहानी -अपनों की बेरुखी

अमोल लुधियाना की एक साइकिल कंपनी में काम करता था और हाल ही में छुट्टी लेकर गाँव आया था । इन दिनों गाँव में भागवत कथा का आयोजन चल रहा था । एक रात, आरती में शामिल होने के लिए जब वह घर से निकला, तो रास्ते में अचानक उसकी तबीयत बिगड़ गई । लड़खड़ाते

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कहानी, लघुकथा

श्रीमति आरती बड़ोदे ‘प्रियाश्री’ मेहरा की कहानी – अद्भुत चमत्कार

यह कहानी केवल सत्यता पर आधारित है। क्योंकि यह मेरे अपने मायके की खबर एक घटनाक्रम में है। आज मैं यहां लगभग पांच वर्ष पहले की बात बताना चाहती हूं। मध्यप्रदेश के जिला छिंदवाड़ा की तहसील परासिया में मेरा मायका है। और मेरे मायके में मेरी छोटी बहन की शादी डेहरिया समाज में तय हुई

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कहानी, लघुकथा

श्रीमति प्रेमली बड़ोदे ‘प्रेमश्री’ मेहरा की कहानी – कर्म का फल

यह एक काल्पनिक कहानी है। जिसके अनुसार प्राचीनकाल में रामपुर नामक एक गांव में एक मजदूर और गरीब परिवार रहता था। उस परिवार में एक बूढ़ा आदमी जिसका नाम नंदलाल था वह अपनी पत्नी जुगनी और एक नौजवान बेटा नंदू के साथ रहता था। इतिहास गवाह है कि पहले अनाज के भी लाले पड़े थे

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मनलाल बड़ोदे ‘राधेप्रेम’ मेहरा की कहानी – सोन चिड़िया

एक सोनगांव नामक गांव में एक पंडित का पुस्तैनी घर था। जहां दोनो पंडित और पंडिताइन खुशी से अपना जीवन यापन कर रहे थे। क्योंकि उनकी कोई संतान नही थी। एक दिन पंडित ने पंडिताइन से बोला कि आपका समय गांव के मंदिर में पूजा पाठ करना और लोगो के यहां कथा पूजन पाठ करके

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कहानी, लघुकथा

महादेव मुंडा की कहानी – एक अंतहीन इंतजार

किसी अजनबी से बिना कारण जाने कभी मुलाकात हो जाए, नज़र मिल जाए, फिर बात हो जाए, और बाद में उससे एक घनिष्ठता बन जाए—शायद यही इत्तिफ़ाक़ है। पहली बार उसे जब देखा, वह भी एक ऐसा ही इत्तिफ़ाक़ था। अजीब सा अहसास हुआ। फिर बिना ख़्याल आए सबकुछ यूं ही हवा के झोंके की

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कहानी, लघुकथा

राकेश राकेश बैंस (भा.रे.इ.से.) की कहानी – अनमोल उपहार

ईश्वरदास माधोपुर गांव में अपनी पत्नी सावित्री के साथ रहता था और वह माधोपुर के पास ही, लगभग पाँच किलोमीटर दूर, एक दूसरे गांव बसोली में सरकारी हाई स्कूल में इतिहास का अध्यापक था। शादी के डेढ़ साल बाद ईश्वरदास के घर एक पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसका नाम उन्होंने युगदेव रखा। युग के आने

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कहानी, लघुकथा

श्री जय प्रकाश वर्मा ऊर्फ कलामजी की कहानी- संगठन का महत्व

एक आदमी था, जो हमेशा अपने संगठन (समूह) में सक्रिय रहता था। उसे सभी जानते थे और उसका बड़ा मान-सम्मान होता था। लेकिन अचानक किसी कारणवश वह निष्क्रिय रहने लगा, मिलना-जुलना बंद कर दिया और संगठन से दूर हो गया। कुछ सप्ताह पश्चात, एक बहुत ही ठंडी रात में, उस संगठन के मुखिया ने उससे

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कहानी, लघुकथा

विभोर व्यास की कहानी- चौराहा

साहिल और रोशन एक प्राइवेट कंपनी के साक्षात्कार के दौरान एक-दूसरे से मिले और पता चला कि रोशन भी उसी सोसाइटी में रहने आया है जहाँ साहिल रहता है। साक्षात्कार में दोनों का ही चयन हो गया और थोड़ी जान-पहचान के बाद वे साथ-साथ ऑफिस जाने लगे। मिलनसार होने के साथ ही उनके विचार भी

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कहानी, लघुकथा

मंजरी सिन्हा की कहानी -दो दोस्त

रतनपुर गाँव के लोग बहुत ही सुखी और संपन्न थे। वहाँ चारो तरफ बहुत ही हरियाली और खुशहाली छायी हुई थी। उसी गाँव में बसंत और सुरेश नाम के दो अनाथ बच्चे भी रहा करते थे। दोनों के माता पिता हैजा की महामारी में काल के ग्रास बन गए थे। उसके बाद निकट के सगे

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कहानी, लघुकथा

डॉ . श्रीमती एस्तर ध्रुव ‘आशा’ की कहानी -मां

आज पगार का दिन है। माँ अंगीठी में कोयला डालकर बाबा का रास्ता देख रही थी। बाबा आज पगार लेकर आएंगे, तो माँ जल्दी से राशन लाकर खाना बनाएगी और मुनिया को खिलाएगी। मुनिया भूख के कारण बार-बार माँ से खाना माँग रही थी, पर माँ बेबस थी। किसी से उधार माँग भी नहीं सकती

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कहानी, लघुकथा

सोनिया दत्त पखरोलवी की कहानी-ख़्वाबों के जहाज़

उम्र के इस पड़ाव पर, जब टाँगें लड़खड़ा रही थीं और आँखें धुँधला चुकी थीं, हेमराज ने कभी नहीं सोचा था कि उनके अतीत के पन्ने यूँ अचानक पलट जाएँगे। एक सामाजिक समारोह में, भीड़ के बीच उनकी नज़र एक महिला पर पड़ी। उसका चेहरा देखते ही उनकी साँस थम-सी गई। वह शक्ल सुमन से

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कहानी, लघुकथा

डॉ. नीरज पखरोलवी की कहानी-अपने हिस्से की छाँव

हर साल गाँव के बुज़ुर्ग मेरे पास 15-एच फॉर्म भरवाने आते हैं। यह सिलसिला उनके जीवन की अनकही कहानियों और अनुभवों को सुनने का ज़रिया बन गया है। उनके साथ बिताए ये कुछ पल उनकी ज़िंदगी के उन पहलुओं को सामने लाते हैं, जो अक्सर अनकहे रह जाते हैं। लेकिन इस बार, कुछ परिचित चेहरे

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कहानी, लघुकथा

डॉ. हरदीप कौर ‘दीप’ की कहानी – विवाह

“सोनिया, मैंने कहा है कि मेरे साथ भाग चल, पर तू है कि मानती ही नहीं!” टिंकू ने सोनिया से कहा। तो सोनिया ने उत्तर दिया, “नहीं, मैं ऐसा नहीं कर सकती। मैंने तुमसे प्यार किया है, कोई चोरी नहीं की है। जब मेरे माता-पिता मान गए हैं, तो तुम्हारे माता-पिता भी मान जाएंगे।” टिंकू

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कहानी, लघुकथा

श्रीमती रम्भा शाह की कहानी – काफल पक्कू

“काफल पक्कू” उत्तराखंड का एक पक्षी है। इस पक्षी के बारे में पुराणों में एक कथा प्रचलित है। एक समय की बात है, चैत का महीना था और बहुत सारे काफल फल पक चुके थे। उत्तराखंड के एक गाँव में एक माँ और बेटी जंगल गए। घास और लकड़ी इकट्ठा करने के बाद उन्होंने काफल

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कहानी, लघुकथा

बिनोद कुमार सिंह की कहानी – बिना सिर वाला आदमी

सुबह के तक़रीबन दस बज रहे थे। लगभग अस्सी वर्षीय दादी बरामदे में बैठी पक्की सड़क की तरफ निरंतर देख रही थीं। सड़क पर आते-जाते लोग उन्हें परछाई की तरह दिखाई दे रहे थे। आज सुबह ही उनके छोटे पोते ने उनका चश्मा तोड़ दिया था। अभी कुछ ही देर हुई थी कि सड़क पर

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कहानी, लघुकथा

मीनू अग्रवाल की कहानी -पुरानी कुर्सी

बाबूराव अब 65 साल के हो गए थे। आँखों से कम दिखाई देता था, हाथ कंपकंपाते थे, और पैरों ने भी जवाब दे दिया था। घुटनों के दर्द के कारण बाबूराव को ज्यादा चलने-फिरने में परेशानी होती थी। परंतु आज भी बाबूराव जिंदादिली की मिसाल थे। अपनी ठहाकेदार हँसी से वे आज भी लोगों को

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कहानी, लघुकथा

यथार्थ की झलक

आप सभी मित्रों को मेरा नमस्कार 🙏🙏 आज की मेरी कहानी है” एक बुजुर्ग के मन के भावो” को और कुछ यथार्थ स्वरूप को उजागर करती हुई जो मैने दिनांक 14 नवम्बर 2024 को लिखी थी जब मैने लिखने की शुरुआत ही की थी तो कुछ त्रुटियां ही सकती है नीलू एक नर्सिंग ऑफिसर है

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लघुकथा

माँ , खौंच्छा, कसूरवार,

#मां कल बालकनी में, मादा कबूतर को अपने नन्हों को सुरक्षित करते देखा शांत भाव से अपने पंख फैलाकर चूजों को आलिंगन किए देखा वह बेजुबान पक्षी हर मुसीबत से डटने को तैयार है क्योंकि वह मां है जब तक उसके बच्चे उड़ना नहीं सीखते हैं तबतक वह करूणामयी मां उनकी पहरेदारी करती है अपने

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कविता, लघुकथा

कर्म – उत्थान पतन का मुख्य स्रोत……..

कर्म – उत्थान पतन का मुख्य स्रोत…….!! दिन को अपने प्रकाश पर अंहकार था! उसको यह भ्रमजाल हो गया था कि मैं प्रकाश हूं और मेरी वजह से पूरा विश्व प्रकाशमय है! उसको अपने प्रकाश पर यह अहंकार हो गया था कि मैं अगर प्रकाश ना करूं तो संसार अंधकार के गर्त में चला जायेगा!

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लघुकथा

पृकृति एवं बेटियाँ

पृकृति एवं बेटियाँ पृकृति और हमारी बेटियों की प्रवृत्ति में काफी हद तक समानताएं हैं। या यूँ कह लीजिए, एक ही तराजू के दो पलड़े हैं। हम और आप भलीभांति जानते हैं कि- प्रकृति नहीं होती तो जीवन असंभव था, और यदि बेटियाँ नहीं होती तब भी। यदि हम प्रकृति को सुरक्षित रखते हैं तो

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लघुकथा

लघुकथा

लड़की और जुगनू (लघुकथा) बचपन से ही लड़की को जुगनू (खद्योत) को निहारना बहुत पसंद था। रात को कुछ जुगनू उसके कमरे में आ जाते थे। तब उसे ऐसा लगता था जैसे वह आकाशगंगा में तैर रही हो। जिस रात उसे जुगनू कम नज़र आते, वह उदास हो जाती थी। “जुगनू से घर में आग

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लघुकथा

बेज़ुबानों की आह

“बेज़ुबानों की आह” ~~~~~~~~~~ बिना सोचे समझे बेवजह ही जंगलों में आग लगा कर क्या साबित करना चाहता है इंसान क्या वो इस बात से अंजान है या फिर जानबूझ कर ऐसा कर रहा है। शायद उसे इस बात का रत्ती भर भी एहसास नहीं है कि कितने बेज़ुबान जीव उस आग की चपेट में

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